बिछड़ी हुई यादे अब
खिलते है सपनो में
बेगाना कर दिया उसने
जिसे चाहा था अपनों में
तेरे दिए हुए ग़मों के सिलसिले
रखे है मैंने सम्भालके
काश कहीं पे तू मिल जाए
तरश खाके मेरे हाल पे
लगता है कोई नगमा तेरा
बसा है धडकनों में
बेगाना कर दिया उसने
जिसे चाहा था अपनों में
हमसफ़र न हो सके हम
चलो बेगाना सही
तुम्हे जो चाहा था इतना
पुकारलो दीवाना सही
तेरे प्यार के धुनों को हर पल
बुनते है तरानों में
बेगाना कर दिया उसने
जिसे चाहा था अपनों में
जो तुम्हे कबूल हो तो
चाँद तारे तोड़ के लादु
तेरे एक मुस्कुराहट पे
रेत में फूल खिला दूँ
ज़माने की सारी खुशियाँ लाऊ
बिछादु तेरे क़दमों में
बेगाना कर दिया उसने
जिसे चाहा था अपनों में
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