Tuesday, May 31, 2011

Sapno Mein

सपनो में 

बिछड़ी हुई यादे अब
खिलते है सपनो में
बेगाना कर दिया उसने
जिसे चाहा था अपनों में

तेरे दिए हुए ग़मों के सिलसिले
रखे है मैंने सम्भालके
काश कहीं पे तू मिल जाए
तरश खाके मेरे हाल पे
लगता है कोई नगमा तेरा
बसा है धडकनों में
बेगाना कर दिया उसने
जिसे चाहा था अपनों में
 
हमसफ़र न हो सके हम
चलो बेगाना सही
तुम्हे जो चाहा था इतना
पुकारलो दीवाना सही
तेरे प्यार के धुनों को हर पल
बुनते है तरानों में
बेगाना कर दिया उसने
जिसे चाहा था अपनों में

जो तुम्हे कबूल हो तो
चाँद तारे तोड़ के लादु
तेरे एक मुस्कुराहट पे
रेत में फूल खिला दूँ
ज़माने की सारी खुशियाँ लाऊ
बिछादु तेरे क़दमों में
बेगाना कर दिया उसने
जिसे चाहा था अपनों में

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